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मेरी कविता इन दिनों | मेरी कविता इन दिनों | ||
22:26, 27 मई 2010 के समय का अवतरण
अन्न और रोज़गार का ज़िक्र उसे नहीं भाता
समता और न्याय गए दिनों की बातें हो गईं
व्यस्त है नई-नई पोशाकें छाँटने में
मेरी कविता इन दिनों
रचनाकाल : 1998