भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"निभृत विजन में मेरे मन में / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= मधुज्वाल / सुमित्रान…)
 
छो ("निभृत विजन में मेरे मन में / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(कोई अंतर नहीं)

21:53, 31 मई 2010 के समय का अवतरण

निभृत विजन में मेरे मन में
हुआ एक दिन स्वप्नाभास,--
मुग्ध यौवना गीत गुनगुना
बैठी है ज्यों मेरे पास!
मेरा मन खो गया विहग बन
नयन नीलिमा में तत्काल,
वैभव सुख की, सुत के मुख की
रही न फिर मुझको अभिलाष!