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"मेरी साँसों के स्पर्श से / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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मेरी साँसों के स्पर्श से  
 
मेरी साँसों के स्पर्श से  
किसी कालिका के कपोल न सिहरें,
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किसी कलिका के कपोल न सिहरें,
 
मेरे पाँवों की आहट भी  
 
मेरे पाँवों की आहट भी  
 
किसी फूल तक नहीं पहुँच सके;
 
किसी फूल तक नहीं पहुँच सके;
 
मैं इस बाग़ से यों निकल जाऊँ
 
मैं इस बाग़ से यों निकल जाऊँ
 
कि न तो किसी खग-शावक की नींद टूटे,
 
कि न तो किसी खग-शावक की नींद टूटे,
न कोई पत्ता खडके.
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न कोई पत्ता खड़के.
 
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02:30, 17 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


मेरी साँसों के स्पर्श से
किसी कलिका के कपोल न सिहरें,
मेरे पाँवों की आहट भी
किसी फूल तक नहीं पहुँच सके;
मैं इस बाग़ से यों निकल जाऊँ
कि न तो किसी खग-शावक की नींद टूटे,
न कोई पत्ता खड़के.