भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हम सब माया-मृग हैं / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=कस्तूरी कुंडल बसे / गुला…) |
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
हम सब माया-मृग हैं | हम सब माया-मृग हैं | ||
− | हम | + | हम सभीने ऊपर से सोने की छालें ओढ़ रखी हैं, |
बस मुखौटे अलग-अलग हैं. | बस मुखौटे अलग-अलग हैं. | ||
<poem> | <poem> |
02:34, 17 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
हम सब माया-मृग हैं
हम सभीने ऊपर से सोने की छालें ओढ़ रखी हैं,
बस मुखौटे अलग-अलग हैं.