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"आदेश के बाद / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

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'''आदेश के बाद'''
 
 
 
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कारखानों की चिमनियां
 
कारखानों की चिमनियां

16:14, 6 जून 2010 के समय का अवतरण

बंद कर दी गई
कारखानों की चिमनियां
मशीन चलाने वाले
गेटों से बाहर धकेल गए
इस तरह
उनकी सांसों के पत्ते खेले गए

हम बस्तियों में गए
उनको घर-घर में ढूंढ़ा
पालनों में, स्कूलों में, खेल के मैदानों में
बच्चे अब वहां नहीं थे
हमने उन जगहों की कल्पना की
जहां वे अब थे

मार तमाम गलियों में
संतोषी कथाओं के बावजूद
औरतों संतुष्ट नहीं थीं
वो गा रही थीं
हाय बनके पत्थर दिल अन्यायी
जज ने कैसे कलम चलाई
हमने उसका क्या बिगाड़ा है
उसने हमकों क्यों उजाड़ा है

रचनाकाल:1996