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"बात बोलेगी / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर

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सत्य ही सुख है<br>
 
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सत्य ही सुख।<br>
 
सत्य ही सुख।<br>
दैन्य दानव काल भीषण क्रूर स्थिति कंगाल बुद्धि घर मजूर।सत्य का क्या रंग है- पूछो एक संग।एक-जनता का दुःख एक। हवा में उड़ती पताकाएँ अनेक। दैन्य दानव। क्रूर स्थिति।कंगाल बुद्धिः म
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दैन्य दानव काल<br>
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भीषण; क्रूर<br>
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स्थिति; कंगाल<br>
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बुद्धि; घर मजूर।<br>
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सत्य का<br>
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क्या रंग है?-<br>
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पूछो<br>
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दुःख : एक।<br>
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दैन्य दानव। क्रूर स्थिति।<br>
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कंगाल बुद्धि : मजूर घर भर।<br>
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एक जनता का - अमर वर :<br>
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एकता का स्वर।<br>
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-अन्यथा स्वातंत्र्य-इति।

19:04, 26 अप्रैल 2007 का अवतरण

कवि:शमशेर बहादुर सिंह Catagory:कवितायें Catagory:शमशेर बहादुर सिंह

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बात बोलेगी,
हम नहीं।
भेद खोलेगी
बात ही।

सत्य का मुख
झूठ की आँखें
क्या-देखें!

सत्य का रूख
समय का रूख हैः
अभय जनता को
सत्य ही सुख है
सत्य ही सुख।

दैन्य दानव काल
भीषण; क्रूर
स्थिति; कंगाल
बुद्धि; घर मजूर।

सत्य का
क्या रंग है?-
पूछो
एक संग।
एक-जनता का
दुःख : एक।
हवा में उड़ती पताकाएँ
अनेक।

दैन्य दानव। क्रूर स्थिति।
कंगाल बुद्धि : मजूर घर भर।
एक जनता का - अमर वर :
एकता का स्वर।
-अन्यथा स्वातंत्र्य-इति।