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क्यों मुझे तुम खींच लाये? | क्यों मुझे तुम खींच लाये? | ||
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एक गो-पद था, भला था, | एक गो-पद था, भला था, | ||
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कब किसी के काम का था? | कब किसी के काम का था? | ||
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क्षुद्ध तरलाई गरीबिन | क्षुद्ध तरलाई गरीबिन | ||
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अरे कहाँ उलीच लाये? | अरे कहाँ उलीच लाये? | ||
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एक पौधा था, पहाड़ी | एक पौधा था, पहाड़ी | ||
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पत्थरों में खेलता था, | पत्थरों में खेलता था, | ||
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जिये कैसे, जब उखाड़ा | जिये कैसे, जब उखाड़ा | ||
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गो अमृत से सींच लाये! | गो अमृत से सींच लाये! | ||
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एक पत्थर बेगढ़-सा | एक पत्थर बेगढ़-सा | ||
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पड़ा था जग-ओट लेकर, | पड़ा था जग-ओट लेकर, | ||
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उसे और नगण्य दिखलाने, | उसे और नगण्य दिखलाने, | ||
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नगर-रव बीच लाये? | नगर-रव बीच लाये? | ||
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एक वन्ध्या गाय थी | एक वन्ध्या गाय थी | ||
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हो मस्त बन में घूमती थी, | हो मस्त बन में घूमती थी, | ||
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उसे प्रिय! किस स्वाद से | उसे प्रिय! किस स्वाद से | ||
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सिंगार वध-गृह बीच लाये? | सिंगार वध-गृह बीच लाये? | ||
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एक बनमानुष, बनों में, | एक बनमानुष, बनों में, | ||
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कन्दरों में, जी रहा था; | कन्दरों में, जी रहा था; | ||
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उसे बलि करने कहाँ तुम, | उसे बलि करने कहाँ तुम, | ||
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ऐ उदार दधीच लाये? | ऐ उदार दधीच लाये? | ||
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जहाँ कोमलतर, मधुरतम | जहाँ कोमलतर, मधुरतम | ||
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वस्तुएँ जी से सजायीं, | वस्तुएँ जी से सजायीं, | ||
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इस अमर सौन्दर्य में, क्यों | इस अमर सौन्दर्य में, क्यों | ||
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कर उठा यह कीच लाये? | कर उठा यह कीच लाये? | ||
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चढ़ चुकी है, दूसरे ही | चढ़ चुकी है, दूसरे ही | ||
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देवता पर, युगों पहले, | देवता पर, युगों पहले, | ||
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वही बलि निज-देव पर देने | वही बलि निज-देव पर देने | ||
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दृगों को मींच लाये? | दृगों को मींच लाये? | ||
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क्यों मुझे तुम खींच लाये? | क्यों मुझे तुम खींच लाये? | ||
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13:12, 14 अप्रैल 2009 का अवतरण
क्यों मुझे तुम खींच लाये?
एक गो-पद था, भला था,
कब किसी के काम का था?
क्षुद्ध तरलाई गरीबिन
अरे कहाँ उलीच लाये?
एक पौधा था, पहाड़ी
पत्थरों में खेलता था,
जिये कैसे, जब उखाड़ा
गो अमृत से सींच लाये!
एक पत्थर बेगढ़-सा
पड़ा था जग-ओट लेकर,
उसे और नगण्य दिखलाने,
नगर-रव बीच लाये?
एक वन्ध्या गाय थी
हो मस्त बन में घूमती थी,
उसे प्रिय! किस स्वाद से
सिंगार वध-गृह बीच लाये?
एक बनमानुष, बनों में,
कन्दरों में, जी रहा था;
उसे बलि करने कहाँ तुम,
ऐ उदार दधीच लाये?
जहाँ कोमलतर, मधुरतम
वस्तुएँ जी से सजायीं,
इस अमर सौन्दर्य में, क्यों
कर उठा यह कीच लाये?
चढ़ चुकी है, दूसरे ही
देवता पर, युगों पहले,
वही बलि निज-देव पर देने
दृगों को मींच लाये?
क्यों मुझे तुम खींच लाये?