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"ऐसा बने सुयोग / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर
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कठिन हुआ जीवित रह पाना | कठिन हुआ जीवित रह पाना | ||
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मुश्किल है इसमें टिक पाना | मुश्किल है इसमें टिक पाना | ||
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मिल जाए करिअर की बूटी | मिल जाए करिअर की बूटी | ||
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00:31, 12 अगस्त 2011 का अवतरण
छार-छार हो दुख का पर्वत
ऐसा बने सुयोग
गलाकाट इस कंपटीशन में
कठिन हुआ जीवित रह पाना
बचे रहे यदि जीवित तो भी
मुश्किल है इसमें टिक पाना
सफल हुए हैं जो इस युग में
ऊँचा उनका योग
बड़ी-बड़ी ‘गाला’ महफ़िल में
हों कितनी भोगों की बातें
और कहीं टपरे के नीचे
हैं मन मारे सिकुड़ी आँतें
कोई हाथ चिरौरी करता
कोई करे नियोग
भइया मेरे, पता चले तो
बतलइयो वह कला अनूठी
आस-पास अपनी धरती पर
मिल जाए करिअर की बूटी
दुआ तुम्हारे लिए करेंगे
प्रतिदिन हम सब लोग