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"जो डरा रहा था / हेमन्त कुकरेती" के अवतरणों में अंतर

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वह अपने होठों की तितली
 
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चिपकाना चाहता था
दुख हुआ कि कभी जो तितली से ज़्यादा सुन्दर
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दुख हुआ कि कभी जो तितली से ज़्यादा सुन्दर था
 
अब ठीक से होंठ भी नहीं थे
 
अब ठीक से होंठ भी नहीं थे
  

23:33, 1 जुलाई 2010 के समय का अवतरण


उसकी कमर पर
वह अपने होठों की तितली
चिपकाना चाहता था
दुख हुआ कि कभी जो तितली से ज़्यादा सुन्दर था
अब ठीक से होंठ भी नहीं थे

वह प्यार था
या उसका न होना
जो उन्हें डरा रहा था