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"रामलखन / भारतेन्दु मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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तिकड़म की दुनिया मे रहकर | तिकड़म की दुनिया मे रहकर | ||
बहुत जी गए रामलखन | बहुत जी गए रामलखन | ||
− | + | बड़े-बड़ों के बीच | |
− | छुपे रुस्तम निकले तुम रामलखन। | + | छुपे-रुस्तम निकले तुम रामलखन। |
अपनी शर्तो पर जीने का हस्र | अपनी शर्तो पर जीने का हस्र | ||
यही सब होना था | यही सब होना था | ||
− | + | घरवालों को बीच राह मे | |
− | + | छोड़ गए तुम रामलखन। | |
कविता छूटी दुनिया छूटी | कविता छूटी दुनिया छूटी | ||
सारे सपने छूट गए | सारे सपने छूट गए | ||
सच्चाई का कच्चा साँचा | सच्चाई का कच्चा साँचा | ||
− | + | छोड़ गये तुम रामलखन। | |
− | कल जिसको उँगली | + | कल जिसको उँगली पकड़ाई |
वह मासूम हथेली थी | वह मासूम हथेली थी | ||
बस उस पर उँगली का छापा | बस उस पर उँगली का छापा | ||
− | + | छोड़ गए तुम रामलखन। | |
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12:57, 2 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
युवा कवि रामलखन के असामयिक निधन पर शोकगीत
तिकड़म की दुनिया मे रहकर
बहुत जी गए रामलखन
बड़े-बड़ों के बीच
छुपे-रुस्तम निकले तुम रामलखन।
अपनी शर्तो पर जीने का हस्र
यही सब होना था
घरवालों को बीच राह मे
छोड़ गए तुम रामलखन।
कविता छूटी दुनिया छूटी
सारे सपने छूट गए
सच्चाई का कच्चा साँचा
छोड़ गये तुम रामलखन।
कल जिसको उँगली पकड़ाई
वह मासूम हथेली थी
बस उस पर उँगली का छापा
छोड़ गए तुम रामलखन।