भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कार्यकर्ता से / लीलाधर जगूड़ी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो ("कार्यकर्ता से / लीलाधर जगूड़ी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
पंक्ति 17: पंक्ति 17:
 
अब तो और भी महान् हो गई है
 
अब तो और भी महान् हो गई है
 
भारतीय जनता
 
भारतीय जनता
 +
 +
किस जनता से किस जनता तक जाने में
 +
किस जनता को किस जनता तक लाने में
 +
कितनी कठिनाई होती है इस जाड़े में ।
 
</poem>
 
</poem>

10:35, 9 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

जिसने भी लिया हो मझसे बदला
वह उसे दे जाए

वनमंत्री ने कहा उत्सव की ठंड में
जंगल जल रहा है उत्तराखंड में

जनता नहीं समझती
कितना कठिन है इस जाड़े में राज चलाना

आँकड़े वाली जनता, समस्या वाली जनता
और स्थानीय जनता तो क्या चीज़ है
अब तो और भी महान् हो गई है
भारतीय जनता

किस जनता से किस जनता तक जाने में
किस जनता को किस जनता तक लाने में
कितनी कठिनाई होती है इस जाड़े में ।