"उसकी कहानी / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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पर, सांसों की दुधारी तलवार | पर, सांसों की दुधारी तलवार | ||
उन बहानों का गला घोंट देती है | उन बहानों का गला घोंट देती है | ||
− | इसलिए समय से संग्राम कर रहे | + | इसलिए, समय से संग्राम कर रहे |
उन कुपात्रों से | उन कुपात्रों से | ||
कहता हूं मैं | कहता हूं मैं | ||
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अपनी रखैल संग रात गुजारता है, | अपनी रखैल संग रात गुजारता है, | ||
फिर, सुबह धारदार किरणों के साथ लौट | फिर, सुबह धारदार किरणों के साथ लौट | ||
− | उस पर दुतकारों की गोलियां दागता है | + | उस पर दुतकारों की गोलियां दागता है |
− | पर, वह मिसालिया हिन्दुस्तानी औरत है-- | + | |
− | पागलपन की हद तक पतिव्रता और निष्ठावान, | + | पर, वह मिसालिया हिन्दुस्तानी औरत है |
+ | --पागलपन की हद तक पतिव्रता और निष्ठावान, | ||
जो सस्ते किराए की छत पर | जो सस्ते किराए की छत पर | ||
निष्ठुर मौसम की डांट-डपट सुनती हुई | निष्ठुर मौसम की डांट-डपट सुनती हुई |
14:09, 16 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
उसकी कहानी
यहीं से
हां, यहीं से
शुरू होती है
--उसकी कहानी,
इसमें घर है,
परिवार है,
पड़ोस है,
समाज और देश भी है
अगर देश से शुरू होती है
यह कहानी
तो वह इसका एक नितांत उपेक्षित पात्र है
नहीं, नहीं कुपात्र है,
ऐसा कुपात्र है
जो सच बोलकर
गर्वीले झूठ के सामने
अपराध-बोध से
धंसता चला जाता है--
तलहीन रसातल में
आओ!
मैं परिवार और समाज में अनफिट
उसके सहोदारों की चर्चा छेड़ता हूं,
जिनके पले-पुसे सपने
रेत की तरह भुरभुरे होते जाते हैं
जो उनके नींद तक में अट नहीं पाते
और झर-झर फिसलकर
उनके पैरों को लहूलुहान कर देते हैं
उन्हें लुंज पोलियोग्रस्त कर देते हैं
उनके पास मरने के लाखों बहाने हैं
पर, सांसों की दुधारी तलवार
उन बहानों का गला घोंट देती है
इसलिए, समय से संग्राम कर रहे
उन कुपात्रों से
कहता हूं मैं
कि अब वे समय पर
घुड़सवारी करने का मनोबल तोड़ दें
सुनो!
इस महानगरीय कहानी में
उसकी ब्याहता बहन भी है
और वह गलती से
उस आदमी की पत्नी है
जो मंगल के व्रत के दिन
अपनी रखैल संग रात गुजारता है,
फिर, सुबह धारदार किरणों के साथ लौट
उस पर दुतकारों की गोलियां दागता है
पर, वह मिसालिया हिन्दुस्तानी औरत है
--पागलपन की हद तक पतिव्रता और निष्ठावान,
जो सस्ते किराए की छत पर
निष्ठुर मौसम की डांट-डपट सुनती हुई
निचाट रात होने तक
अपने वहशी पति की
बाट जोहती है
बेशक! वह उनमें से एक है
जिसे दुष्ट देव ने
उसे हताशा की हुक पर
हलाल बकरे की तरह लटका दिया है.