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"फूल के करीब जाइए / मोहन आलोक" के अवतरणों में अंतर

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<poem>फूल के करीब जाइए
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फूल के करीब जाइए
 
और उससे
 
और उससे
 
अपने मन की बात कहिए
 
अपने मन की बात कहिए

02:20, 20 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

फूल के करीब जाइए
और उससे
अपने मन की बात कहिए
जबाब आने की प्रतीक्षा कीजिए
कुछ देर को
उसके पास बैठे रहिए ।

वह अपनी
मिल-बतियाने की भूख को
निश्चय ही शांत करेगा
बहलाएगा आपका मन
आपसे बात करेगा ।

एक बार कभी
आप उसकी बात सुनकर तो द्रेखें

उसके चतुर्दिक मंडराते मौन को
गुनकर तो देखें ।
हो सकता है
शुरू-शुरू में आपको लगे
आप बेवकूफ बन रहें हैं !
तब भी आप
एक बार यों बेवकूफ बनकर तो देखें ।

अनुवाद : नीरज दइया