"नरेन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर
पंक्ति 25: | पंक्ति 25: | ||
* [[नैना दीवाने एक नहीं माने / नरेन्द्र शर्मा]] | * [[नैना दीवाने एक नहीं माने / नरेन्द्र शर्मा]] | ||
* [[मधु माँग ना मेरे मधुर मीत / नरेन्द्र शर्मा]] | * [[मधु माँग ना मेरे मधुर मीत / नरेन्द्र शर्मा]] | ||
− | * [[मेरे गीत बडे हरियाले / | + | * [[मेरे गीत बडे हरियाले / नरेन्द्र शर्मा]] |
+ | * [[ऐसे हैं सुख सपन हमारे/ नरेन्द्र शर्मा]] | ||
मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ ) | मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ ) | ||
पंक्ति 82: | पंक्ति 83: | ||
[ स्व. पँ. नरेन्द्र शर्मा ] | [ स्व. पँ. नरेन्द्र शर्मा ] | ||
+ | ऐसे हैं सुख सपन हमारे | ||
+ | बन बन कर मिट जाते जैसे | ||
+ | बालू के घर नदी किनारे | ||
+ | ऐसे हैं सुख सपन हमारे.... | ||
+ | लहरें आतीं, बह बह जातीं | ||
+ | रेखाए बस रह रह जातीं | ||
+ | जाते पल को कौन पुकारे | ||
+ | ऐसे हैं सुख सपन हमारे.... | ||
+ | ऐसी इन सपनों की माया | ||
+ | जल पर जैसे चाँद की छाया | ||
+ | चाँद किसी के हाथ न आया | ||
+ | चाहे जितना हाथ पसारे | ||
+ | ऐसे हैं सुख सपन हमारे.... |
01:55, 6 मई 2008 का अवतरण
नरेन्द्र शर्मा की रचनाएँ
जन्म | 1913 |
---|---|
निधन | |
उपनाम | |
जन्म स्थान | जहाँगीरपुर, जिला खुर्जा, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
शूल -फूल (१९३४), कर्ण फूल (१९३६), प्रभात फेरी (१९३८), प्रवासी के गीत (१९३९), कामिनी (१९४३), मिट्टी और फूल (१९४३), पलाशवन (१९४३), हँस माला (१९४६), सर्तचँदन (१९४९), अग्निशस्य (१९५०), कदलीवन (१९५३), द्रौपदी (१९६०), प्यासा निर्झर (१९६४), उत्तर जय (१९६५), बहुत रात गये (१९६७), सुवर्णा (१९७१), सुवीरा (१९७३), प्रमुख पत्रिकाएँ सरस्वती १९३२ व चाँद १९३३ मेँ प्राँरभिक रचनाएँ व स्फुट कविताएँ व समीक्षा इत्यादी छपती रही | |
विविध | |
पंडित नरेन्द शर्मा ने हिन्दी फ़िल्मों के लिये बहुत से गीत लिखे। उनके 17 कविता संग्रह, एक कहानी संग्रह, एक जीवनी और अनेक रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। | |
जीवन परिचय | |
नरेन्द्र शर्मा / परिचय |
- ज्योति कलश छलके / नरेन्द्र शर्मा
- प्रयाग / नरेन्द्र शर्मा
- आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे / नरेन्द्र शर्मा
- तुम भी बोलो, क्या दूँ रानी / नरेन्द्र शर्मा
- तुम रत्न-दीप की रूप-शिखा / नरेन्द्र शर्मा
- हंस माला चल / नरेन्द्र शर्मा
- हर लिया क्यों शैशव नादान / नरेन्द्र शर्मा
- नींद उचट जाती है / नरेन्द्र शर्मा
- चलो हम दोनों चलें वहां / नरेन्द्र शर्मा
- नैना दीवाने एक नहीं माने / नरेन्द्र शर्मा
- मधु माँग ना मेरे मधुर मीत / नरेन्द्र शर्मा
- मेरे गीत बडे हरियाले / नरेन्द्र शर्मा
- ऐसे हैं सुख सपन हमारे/ नरेन्द्र शर्मा
मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
मैँने भी मधु के गीत रचे, मेरे मन की मधुशाला मेँ
यदि होँ मेरे कुछ गीत बचे, तो उन गीतोँ के कारण ही,
कुछ और निभा ले प्रीत ~ रीत !
मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
मधु कहाँ , यहाँ गँगा - जल है !
प्रभु के चरणोँ मे रखने को ,
जीवन का पका हुआ फल है !
मन हार चुका मधुसदन को,
मैँ भूल चुका मधु भरे गीत !
मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
वह गुपचुप प्रेम भरीँ बातेँ, (२)
यह मुरझाया मन भूल चुका
वन कुँजोँ की गुँजित रातेँ (२)
मधु कलषोँ के छलकाने की
हो गयी , मधुर बेला व्यतीत !
मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
रचना : [ स्व पँ. नरेन्द्र शर्मा ]
मेरे गीत बडे हरियाले,
मैने अपने गीत, सघन वन अन्तराल से खोज निकाले मैँने इन्हे जलधि मे खोजा, जहाँ द्रवित होता फिरोज़ा मन का मधु वितरित करने को, गीत बने मरकत के प्याले ! कनक - वेनु, नभ नील रागिनी, बनी रही वँशी सुहागिनी -सात रँध्र की सीढी पर चढ, गीत बने हारिल मतवाले !
देवदारु की हरित शिखर पर अन्तिम नीड बनायेँगे स्वर, शुभ्र हिमालय की छाया मेँ, लय हो जायेँगे, लय वाले !
[ स्व. पँ. नरेन्द्र शर्मा ] ऐसे हैं सुख सपन हमारे बन बन कर मिट जाते जैसे बालू के घर नदी किनारे ऐसे हैं सुख सपन हमारे.... लहरें आतीं, बह बह जातीं रेखाए बस रह रह जातीं जाते पल को कौन पुकारे ऐसे हैं सुख सपन हमारे.... ऐसी इन सपनों की माया जल पर जैसे चाँद की छाया चाँद किसी के हाथ न आया चाहे जितना हाथ पसारे ऐसे हैं सुख सपन हमारे....