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"घुटन / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर
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जी में आता है कि इस कान में सुराख़ करूँ | जी में आता है कि इस कान में सुराख़ करूँ | ||
− | खींचकर दूसरी जानिब से | + | खींचकर दूसरी जानिब से निकालूँ उसको |
− | सारी की सारी | + | सारी की सारी निचोडूँ ये रगें साफ़ करूँ |
− | भर दूँ रेशम की | + | भर दूँ रेशम की जलाई हुई भुक्की इसमें |
कह्कहाती हुई भीड़ में शामिल होकर | कह्कहाती हुई भीड़ में शामिल होकर | ||
− | मैं भी एक बार | + | मैं भी एक बार हँसूँ, खूब हँसूँ, खूब हँसू |
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19:38, 23 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
जी में आता है कि इस कान में सुराख़ करूँ
खींचकर दूसरी जानिब से निकालूँ उसको
सारी की सारी निचोडूँ ये रगें साफ़ करूँ
भर दूँ रेशम की जलाई हुई भुक्की इसमें
कह्कहाती हुई भीड़ में शामिल होकर
मैं भी एक बार हँसूँ, खूब हँसूँ, खूब हँसू