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"खटमल-मच्छर-युद्ध / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर
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छो (खटमल-मच्छर-युद्ध/ काका हाथरसी का नाम बदलकर खटमल-मच्छर-युद्ध / काका हाथरसी कर दिया गया है) |
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(कोई अंतर नहीं)
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22:42, 16 अगस्त 2010 का अवतरण
'काका' वेटिंग रूम में फँसे देहरादून ।
नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून ॥
मच्छर चूसें खून, देह घायल कर डाली ।
हमें उड़ा ले ज़ाने की योजना बना ली ॥
किंतु बच गए कैसे, यह बतलाएँ तुमको ।
नीचे खटमल जी ने पकड़ रखा था हमको ॥
हुई विकट रस्साकशी, थके नहीं रणधीर ।
ऊपर मच्छर खींचते नीचे खटमल वीर ॥
नीचे खटमल वीर, जान संकट में आई ।
घिघियाए हम- "जै जै जै हनुमान गुसाईं ॥
पंजाबी सरदार एक बोला चिल्लाके - |
त्व्हाणूँ पजन करना होवे तो करो बाहर जाके ॥