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"ठहराव / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’" के अवतरणों में अंतर
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तुम तो यहीं ठहर गये | तुम तो यहीं ठहर गये | ||
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ठहरे तो किले बान्धो | ठहरे तो किले बान्धो | ||
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मीनारें गढ़ो | मीनारें गढ़ो | ||
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उतरो चढ़ो | उतरो चढ़ो | ||
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उतरो चढ़ो | उतरो चढ़ो | ||
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कल तक की दूसरों की | कल तक की दूसरों की | ||
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आज अपनी रक्षा करों, | आज अपनी रक्षा करों, | ||
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मुझको तो चलना है | मुझको तो चलना है | ||
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अन्धेरे में जलना है | अन्धेरे में जलना है | ||
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समय के साथ-साथ ढलना है | समय के साथ-साथ ढलना है | ||
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इसलिये मैने कभी | इसलिये मैने कभी | ||
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बान्धे नहीं परकोटे | बान्धे नहीं परकोटे | ||
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साधी नहीं सरहदें | साधी नहीं सरहदें | ||
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औ' गढ़ी नहीं मीनारें | औ' गढ़ी नहीं मीनारें | ||
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जीवन भर मुक्त बहा सहा | जीवन भर मुक्त बहा सहा | ||
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हवा-आग-पानी सा | हवा-आग-पानी सा | ||
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बचपन जवानी सा। | बचपन जवानी सा। | ||
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19:25, 5 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
तुम तो यहीं ठहर गये
ठहरे तो किले बान्धो
मीनारें गढ़ो
उतरो चढ़ो
उतरो चढ़ो
कल तक की दूसरों की
आज अपनी रक्षा करों,
मुझको तो चलना है
अन्धेरे में जलना है
समय के साथ-साथ ढलना है
इसलिये मैने कभी
बान्धे नहीं परकोटे
साधी नहीं सरहदें
औ' गढ़ी नहीं मीनारें
जीवन भर मुक्त बहा सहा
हवा-आग-पानी सा
बचपन जवानी सा।