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"जिस किसी का सूरज से सिलसिला निकलता है / सर्वत एम जमाल" के अवतरणों में अंतर

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जिस किसी का सूरज से सिलसिला निकलता है
 
जिस किसी का सूरज से सिलसिला निकलता है
  
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18:13, 5 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

जिस किसी का सूरज से सिलसिला निकलता है

बस वही चिरागों को रौंदता निकलता है


बस्तियों के जंगल में आदमी नहीं मिलते

आजकल जिसे देखो देवता निकलता है


पास वाले झुरमुट में लाशें मिलती हैं अक्सर

गाँव वाले कहते हैं भेड़िया निकलता है


उम्र बीत जाती है सिर्फ़ यह समझने में

चक्रव्यूह से कैसे रास्ता निकलता है


जश्न है, खमोशी है, सब पड़े हैं सजदे में

इस डगर से राजा का काफिला निकलता है


तू सुलगता रहता है कौन आग में सर्वत

तेरे जिस्म से अक्सर कोयला निकलता है