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"हम मुहब्बत में ढील देते हैं / सर्वत एम जमाल" के अवतरणों में अंतर

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हम मुहब्बत में ढील देते हैं
 
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दुश्मनी हो तो छील देते हैं
 
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किसकी मंज़िल है कितनी दूर अभी
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यह पता संगे-मील देते हैं
 
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आज इन्साफ़ के पुजारी भी
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आइना बेज़ुबान होता है
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जब कि चेहरे दलील देते हैं
 
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21:26, 5 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

हम मुहब्बत में ढील देते हैं
दुश्मनी हो तो छील देते हैं

किसकी मंज़िल है कितनी दूर अभी
यह पता संगे-मील देते हैं

आज इन्साफ़ के पुजारी भी
क़ातिलों को वकील देते हैं

कौन ईमानदार है अब तो
यह सनद भी ज़लील देते हैं

आइना बेज़ुबान होता है
जब कि चेहरे दलील देते हैं