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+ | मिलता है राजपाट | ||
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+ | पुत्र-परिजनों से जब | ||
+ | मोह करता है राजा | ||
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+ | हस्तिनापुर में लोग कहते हैं | ||
+ | विश्वसनीय नहीं होते | ||
+ | हस्तिनापुर के लोग | ||
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20:00, 5 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
1.
कुछ भी नहीं देता है
हस्तिनापुर
महाभारत के बग़ैर
छोटी से छोटी चीज़ के लिए भी
लड़ना पड़ता है हर रोज़
कोई न कोई महाभारत
हर बार हारता है धर्म
अधर्म करता है अट्टाहस
अपने संगी-साथियों के साथ
2.
हस्तिनापुर में
धर्म की नही
अधर्म की जय मनाते हैं लोग
क्योंकि अधर्म से ही
अर्जित करते हैं
धन-धान्य
मान-सम्मान
3.
क्या सचमुच
कौरवों का दल हार गया था
महाभारत की लड़ाई
पर, जीतता ही चला आ रहा है
कौरवों का ही दल
इसके बाद का हर महाभारत
4.
महाभारत के बाद
आस्था नहीं रही लोगों की
धर्म पर
वह जीत कर भी
विकलांग दीखता था
सबने कुछ ना कुछ
गँवाया ही था उस युद्ध में
इसीलिए लोग नहीं चाहते
फिर कोई महाभारत
कोई धर्म युद्ध
5.
महाभारत नहीं होता
तो, शायद
कलियुग नहीं आता
थक गए लोग
महाभारत में
धर्म के लिए लड़ते-लड़ते
6.
सबने
कुछ ना कुछ खोया ही था
महाभारत में
कृष्ण ने भी खोया था
अपना ईश्वरत्व
7.
शकुनियों ने रचा था महाभारत
पर लड़ा उसे कौरवों ने
और पांडवों ने भी
8.
अंधा है
हस्तिनापुर का राजा
वह देख नहीं पाता
अपने स्वार्थों से हटकर
9.
हस्तिनापुर में
शकुनियों को पनाह मिलती है
तिकड़मी कौरवों को
मिलता है राजपाट
कृष्ण कहते हैं
पुत्र-परिजनों से जब
मोह करता है राजा
अंधा हो जाता है प्रशासन
10.
हस्तिनापुर में लोग कहते हैं
विश्वसनीय नहीं होते
हस्तिनापुर के लोग