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"डर पैदा करना / नरेश अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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22:24, 8 मई 2011 के समय का अवतरण
केवल उगते या डूबते हुए सूर्य को ही
देखा जा सकता है नंगी आँखों से
फिर उसके बाद नहीं
और
जानता हूँ
हाथी नहीं सुनेंगे
बात किन्हीं तलवारों की
ले जाया जा सकता है उन्हें दूर-दूर तक
सिर्फ सुई की नोक के सहारे ही
इसलिए
सोचता हूँ,
डर पैदा करना भी एक कला है ।