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"चमक / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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उसी चमक के सहारे मैं जिऊँगा | उसी चमक के सहारे मैं जिऊँगा | ||
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21:54, 6 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
चित्रकार जगदीश स्वामीनाथन के प्रति स्नेह और श्रद्धा के साथ
चमक है पसीने की
कसी हुई मांसपेशियों पर,
चमक है ख़्वाबों की
तनी हुई भृकुटी पर ।
चमक सुर्ख, तपे लोहे की घन में,
चमक बहते नाले की
शांत सोये वन में ।
उसी चमक के सहारे मैं जिऊँगा
हर हादसे में आए ज़ख़्मों को सिऊँगा |