भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वर्षा / अमरजीत कौंके" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरजीत कौंके |संग्रह=अंतहीन दौड़ / अमरजीत कौंके …) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
}} | }} | ||
[[Category:पंजाबी भाषा]] | [[Category:पंजाबी भाषा]] | ||
+ | {{KKAnthologyVarsha}} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> |
18:34, 31 मार्च 2011 के समय का अवतरण
वर्षा जब बाहर होती
तो कैसे निखर जाता
धीरे धीरे आकाश
प्यासी धरती
भीतर तक अघा जाती
वृक्षों के पत्ते
धुल कर हो जाते नए नवेले
पवन सुगंधित होता
काश !
वर्षा ऐसी
कभी इन्सान के
भीतर भी हो पाती.... !!!
मूल पंजाबी से हिंदी में रूपांतर : स्वयं कवि द्वारा