"बेवकूफी के शगल / कुमार सुरेश" के अवतरणों में अंतर
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याद हैं | याद हैं | ||
− | मोहम्मद | + | मोहम्मद रफ़ी के गाने |
− | गुनगुनाते गाहे बगाहे | + | गुनगुनाते गाहे-बगाहे |
− | स्त्री स्टेनो में उनकी | + | स्त्री स्टेनो में उनकी रुचि |
− | चर्चा का | + | चर्चा का विषय |
नृत्य से प्रेम उन्हें | नृत्य से प्रेम उन्हें | ||
− | देखते | + | देखते फ़िल्मों में |
संगीत उनकी दीवानगी | संगीत उनकी दीवानगी | ||
− | सुनते | + | सुनते कार में ऍफ़० ऍम० |
− | शास्त्रीय | + | शास्त्रीय टूँ-टा से परहेज |
बतातें | बतातें | ||
उनका शगल | उनका शगल | ||
− | जिनके टाइम की नही | + | जिनके टाइम की नही क़ीमत |
अच्छा तो आप कवि हैं | अच्छा तो आप कवि हैं | ||
कहना | कहना | ||
− | मुस्कराना | + | मुस्कराना व्यंग्य से |
उनकी अदा | उनकी अदा | ||
कवि गर जूनियर नौकरी में | कवि गर जूनियर नौकरी में | ||
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पार्टियों के लिए करते खर्च | पार्टियों के लिए करते खर्च | ||
− | + | फ़िल्मों के लिए भी | |
शराब पीते उम्दा | शराब पीते उम्दा | ||
हर शौक लाजबाब | हर शौक लाजबाब | ||
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साहित्य नहीं खरीदते | साहित्य नहीं खरीदते | ||
हिन्दी नाटक नही देखते | हिन्दी नाटक नही देखते | ||
− | कला | + | कला-प्रदर्शनी नही |
− | जाते नहीं भारत भवन | + | जाते नहीं भारत-भवन |
पूछा उनसे | पूछा उनसे | ||
बोले | बोले | ||
− | अक्ल | + | अक्ल गई नहीं |
अभी घास चरने | अभी घास चरने | ||
− | बेवकूफी के शगल | + | कि बेवकूफी के शगल |
करने लगें | करने लगें | ||
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00:49, 7 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
रसिक हैं वे
याद हैं
मोहम्मद रफ़ी के गाने
गुनगुनाते गाहे-बगाहे
स्त्री स्टेनो में उनकी रुचि
चर्चा का विषय
नृत्य से प्रेम उन्हें
देखते फ़िल्मों में
संगीत उनकी दीवानगी
सुनते कार में ऍफ़० ऍम०
शास्त्रीय टूँ-टा से परहेज
बतातें
उनका शगल
जिनके टाइम की नही क़ीमत
अच्छा तो आप कवि हैं
कहना
मुस्कराना व्यंग्य से
उनकी अदा
कवि गर जूनियर नौकरी में
कविराज की वक्रोक्ति
कविता की किताब से बचते
जैसे अश्लील किताब
उसे अकेले में पढ़ भी लें
कविता कभी नहीं
पार्टियों के लिए करते खर्च
फ़िल्मों के लिए भी
शराब पीते उम्दा
हर शौक लाजबाब
साहित्य नहीं खरीदते
हिन्दी नाटक नही देखते
कला-प्रदर्शनी नही
जाते नहीं भारत-भवन
पूछा उनसे
बोले
अक्ल गई नहीं
अभी घास चरने
कि बेवकूफी के शगल
करने लगें