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"ढिगळी होवण तांई / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर
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Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: <poem>भोत तळै जाय’र नीसरयो है कूओ रास रा निसाण आपरै मुंडै री समूळी गे…) |
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नीसरयो है कूओ | नीसरयो है कूओ | ||
रास रा निसाण | रास रा निसाण |
15:52, 16 अक्टूबर 2010 का अवतरण
भोत तळै जाय’र
नीसरयो है कूओ
रास रा निसाण
आपरै मुंडै री
समूळी गेळाई में
कोरियां ऐनाण
पण नीं बतावै
किण दिस
कुण जात
भरती ही पाणी !
काळीबंगा रो मून
बतावै
एक जात
आदमजात
जकी
भेळी जागी
भेळी ई सोई
भेळप निभाई
ढिगळी होवण तांई ।