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"घर/ नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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<poem>थूं अर म्हैं पाळ्यो
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थूं अर म्हैं पाळ्यो
 
हजार-हजार रंगां रो
 
हजार-हजार रंगां रो
 
एक सुपनो ।
 
एक सुपनो ।

01:46, 24 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण

थूं अर म्हैं पाळ्यो
हजार-हजार रंगां रो
एक सुपनो ।

थारी अर म्हारी दीठ रो
थारै अर म्हारै सुपनां रो
एक घर हो
जिको अबै धरती माथै
कदैई नीं चिणीजैला ।

मा कैवै-
मूरखता है
घर थकां रिधरोही मांय हांडणो ।
बाळ दे – नुगरा सुपनां नै
जिका दिरावै थाकैलो
अर करावै
बिरथा जातरा ।