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"दादी दांई दुनिया / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर
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झोटा खावै है- दादी । | झोटा खावै है- दादी । | ||
01:47, 24 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
आयै दिन
मंदगी मांय अधरझूल
झोटा खावै है- दादी ।
ऐ झोटा
पूरा ई’ज समझो हणै
पण मन नीं भरै दादी रो !
दादी !
थारो जीवण सूं
क्यूं है- इत्तो लगाव ?
अबै कांई रैयो बाकी
जद कै थारा टाबर ई
उफतग्या है, नाक राखता-राखता
गळी-गवाड रै डर सूं ।
भायला, दादी दांई दुनिया ई
खावै है झोटा ।
