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समय ने जब भी अधेंरो से दोस्ती की है<br>
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सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा, <br>
जला के हमने अपना घर रोशनी की है<br>
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इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा।
सुबूत हैं मेरे घर में धुएं के ये धब्बे<br>
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अभी यहाँ पर उजालों ने ख़ुदकुशी की है।
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कविता कोश में [[गोपालदास "नीरज"]]
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कविता कोश में [[बशीर बद्र]]
 
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21:28, 20 जून 2008 का अवतरण

 एक काव्य मोती
Pearl.jpg

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा,
इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा।

कविता कोश में बशीर बद्र