भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आदमी / रामस्वरूप किसान" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: <poem>मुरगो, काच खावै अर मुरगै नै खावै आदमी तो ई आदमी अचम्भो करै अरै, म…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | < | + | {{KKGlobal}} |
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार=रामस्वरूप किसान | ||
+ | |संग्रह= | ||
+ | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <Poem> | ||
+ | मुरगो, | ||
काच खावै | काच खावै | ||
अर मुरगै नै खावै आदमी | अर मुरगै नै खावै आदमी |
18:47, 4 नवम्बर 2010 का अवतरण
मुरगो,
काच खावै
अर मुरगै नै खावै आदमी
तो ई
आदमी अचम्भो करै
अरै,
मुरगो काच खावै!