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"आ बैठ बात करां / रामस्वरूप किसान" के अवतरणों में अंतर

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आ बैठ बात करां
 
एक दूजै नै देखां
 
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कित्ता नेड़ै-नेड़ै रैया आपां
 
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पण देख नीं सक्या
 
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एक दूजै नै।
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झूठ नीं बोलूं
 
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म्हैं तो नीं देख सक्यो
 
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थारी थूं जाणै।
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थारी थूं जाणै ।
  
 
बरत्यो अवस है
 
बरत्यो अवस है
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ठोडी रो तिल
 
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जकै रौ रंग
 
जकै रौ रंग
म्हारी अणदेखी रै अंधारै रळग्यो।
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म्हारी अणदेखी रै अंधारै रळग्यो ।
  
 
माफ करज्यो
 
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औसाण ही नीं मिल्यो
 
औसाण ही नीं मिल्यो
अै दांत कद टूटग्या थारा?
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अर अै धोळा बाळ?
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अर धोळा बाळ?
 
आ बैठ, गौर सूं देखूं थनै
 
आ बैठ, गौर सूं देखूं थनै
 
कदे भाजो-भाज में
 
कदे भाजो-भाज में
 
आ जिनगाणी भाज नीं जावै।
 
आ जिनगाणी भाज नीं जावै।
 
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18:45, 4 नवम्बर 2010 का अवतरण

आ बैठ बात करां
एक दूजै नै देखां

कित्ता बरस बीतग्या
सागै रैंवतै थकां,
कित्ता नेड़ै-नेड़ै रैया आपां
पण देख नीं सक्या
एक दूजै नै ।
झूठ नीं बोलूं
म्हैं तो नीं देख सक्यो
थारी थूं जाणै ।

बरत्यो अवस है
थारो रूं-रूं
पण देख नीं सक्यो
ठोडी रो तिल
जकै रौ रंग
म्हारी अणदेखी रै अंधारै रळग्यो ।

माफ करज्यो
औसाण ही नीं मिल्यो
अ दांत कद टूटग्या थारा?
अर ऐ धोळा बाळ?
आ बैठ, गौर सूं देखूं थनै
कदे भाजो-भाज में
आ जिनगाणी भाज नीं जावै।