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"नारो / विनोद स्वामी" के अवतरणों में अंतर

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<poem>गळी रै कादै कनै
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गळी रै कादै कनै
 
भींत पर लिख्योड़ो नारो
 
भींत पर लिख्योड़ो नारो
 
पांयचा टांग्यां खड़्यो है-
 
पांयचा टांग्यां खड़्यो है-
 
'बूंद-बूंद पाणी बचाओ।'
 
'बूंद-बूंद पाणी बचाओ।'
 
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20:50, 31 अक्टूबर 2010 का अवतरण

गळी रै कादै कनै
भींत पर लिख्योड़ो नारो
पांयचा टांग्यां खड़्यो है-
'बूंद-बूंद पाणी बचाओ।'