भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सागर के सीप (कविता) / भारत भूषण" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
छो (सागर के सीप / भारत भूषण का नाम बदलकर सागर के सीप (कविता) / भारत भूषण कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:06, 18 दिसम्बर 2011 का अवतरण
ये उर-सागर के सीप तुम्हें देता हूँ ।
ये उजले-उजले सीप तुम्हें देता हूँ ।
है दर्द-कीट ने
युग-युग इन्हें बनाया
आँसू के
खारी पानी से नहलाया
जब रह न सके ये मौन,
स्वयं तिर आए
भव तट पर
काल तरंगों ने बिखराए
है आँख किसी की खुली
किसी की सोती
खोजो,
पा ही जाओगे कोई मोती
ये उर सागर की सीप तुम्हें देता हूँ
ये उजले-उजले सीप तुम्हें देता हूँ