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− | + | कऊवा की डाली पीपल बासे, मूसा कै सबद बिलइया नासे । | |
− | + | चलै बटावा थाकी बाट, सोवै डूकरिया ठोरे षाट । | |
− | + | ढूकिले कूकर भूकिले चोर, काढै धणी पुकारे ढोर । | |
− | + | उजड़ षेडा नगर मझारी, तलि गागर ऊपर पनिहारी । | |
− | + | मगरी परि चूल्हा धून्धाई, पोवणहारा कों रोटी खाई । | |
− | + | कामिनि जलै अंगीठी तापै, विच बैसंदर थरहर काँपे । | |
− | + | एक जु रढीया रढ़ती आई, बहू बिवाई सासू जाई । | |
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21:52, 6 मई 2011 का अवतरण
नाथ बोले अमृत बाणी
वरिषेगी कंबली भीजैगा पाणी ।
गाडी पडरवा बांधिले शूंटा, चले दमामा बाजिलै ऊंटा ।
कऊवा की डाली पीपल बासे, मूसा कै सबद बिलइया नासे ।
चलै बटावा थाकी बाट, सोवै डूकरिया ठोरे षाट ।
ढूकिले कूकर भूकिले चोर, काढै धणी पुकारे ढोर ।
उजड़ षेडा नगर मझारी, तलि गागर ऊपर पनिहारी ।
मगरी परि चूल्हा धून्धाई, पोवणहारा कों रोटी खाई ।
कामिनि जलै अंगीठी तापै, विच बैसंदर थरहर काँपे ।
एक जु रढीया रढ़ती आई, बहू बिवाई सासू जाई ।
नगरी को पाणी कूई आवै, उलटी चरचा गोरष गावै ।।