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19:54, 7 नवम्बर 2010 का अवतरण
सप्ताह की कविता | शीर्षक : फूलों का गजरा रचनाकार: रमेश तैलंग |
बहना, तेरी चोटी में फूलों का गजरा । फूलों के गजरे ने घर-भर महकाया, बतलाना, बतलाना कौन इसे लाया ? साँसों में छोड़ गया ख़ुशबू का लहरा । गजरे में फूल खिले बेला-जुही के, आँखों में तेरी हैं आँसू खुशी के, चेहरे पर बिखरा है जादू सुनहरा । तुझ पर ही नज़रें हैं छोटे-बड़ों की, बात हुई बहना, आज क्या अनोखी ? क्या इसमें है कोई राज बड़ा गहरा ?