"सर्कस की बीमारी / नवारुण भट्टाचार्य" के अवतरणों में अंतर
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अपार आनंद आ रहा है, डाक्टर | अपार आनंद आ रहा है, डाक्टर | ||
फ़िलहाल | फ़िलहाल | ||
− | + | पूरी तरह स्वस्थ | |
दो बरस पहले शायद सर्दियों में | दो बरस पहले शायद सर्दियों में | ||
शहर मेँ आया था सर्कस | शहर मेँ आया था सर्कस | ||
इस बार सीने के भीतर शुरू है सर्कस | इस बार सीने के भीतर शुरू है सर्कस | ||
कुचले हुए होंठों के बीच नमकीन ख़ून | कुचले हुए होंठों के बीच नमकीन ख़ून | ||
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जोकर! जोकर! | जोकर! जोकर! | ||
अपार आनंद आ रहा है, डाक्टर! | अपार आनंद आ रहा है, डाक्टर! | ||
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ख़ून में जैसे कहीं कोई तार टूट जाने से | ख़ून में जैसे कहीं कोई तार टूट जाने से | ||
दम घुटकर थम जाती है ट्राम | दम घुटकर थम जाती है ट्राम | ||
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उसकी तीनों आँखें बुझ जाती हैं चीखती हैं | उसकी तीनों आँखें बुझ जाती हैं चीखती हैं | ||
मस्तिष्क मेँ कहीँ कोई स्नायु टूटती है | मस्तिष्क मेँ कहीँ कोई स्नायु टूटती है | ||
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बेवज़न बिजली के लठ्ठ के भीतर | बेवज़न बिजली के लठ्ठ के भीतर | ||
टूटे फ़िलामेंट की तरह काँपती है | टूटे फ़िलामेंट की तरह काँपती है | ||
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उड़ते हुए ट्रैपीज़ में | उड़ते हुए ट्रैपीज़ में | ||
उसके बाद? | उसके बाद? | ||
− | फ़िलहाल पूरी तरह | + | फ़िलहाल पूरी तरह स्वस्थ। |
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डॉक्टर! आपके चारों तरफ | डॉक्टर! आपके चारों तरफ | ||
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मूक-बघिर स्कूलों जैसी निस्तब्धता में | मूक-बघिर स्कूलों जैसी निस्तब्धता में | ||
ख़ुद का जीवित रहना ही | ख़ुद का जीवित रहना ही | ||
− | + | लगा था कमांडो तत्परता की तरह | |
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अब ऐसा नहीं लगेगा कभी | अब ऐसा नहीं लगेगा कभी | ||
फ़िलहाल पूरी तरह स्वस्थ। | फ़िलहाल पूरी तरह स्वस्थ। | ||
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ख़ुद के भेजे हुए एस. ओ. एस. | ख़ुद के भेजे हुए एस. ओ. एस. | ||
आईनों के धक्के खाकर अपने ही | आईनों के धक्के खाकर अपने ही | ||
− | + | शरीर में लौट आते हैं | |
डॉक्टर , बेहद मज़ा है सर्दियों के सर्कस में। | डॉक्टर , बेहद मज़ा है सर्दियों के सर्कस में। | ||
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08:18, 17 नवम्बर 2010 का अवतरण
अपार आनंद आ रहा है, डाक्टर
फ़िलहाल
पूरी तरह स्वस्थ
दो बरस पहले शायद सर्दियों में
शहर मेँ आया था सर्कस
इस बार सीने के भीतर शुरू है सर्कस
कुचले हुए होंठों के बीच नमकीन ख़ून
जोकर! जोकर!
अपार आनंद आ रहा है, डाक्टर!
ख़ून में जैसे कहीं कोई तार टूट जाने से
दम घुटकर थम जाती है ट्राम
उसकी तीनों आँखें बुझ जाती हैं चीखती हैं
मस्तिष्क मेँ कहीँ कोई स्नायु टूटती है
बेवज़न बिजली के लठ्ठ के भीतर
टूटे फ़िलामेंट की तरह काँपती है
भाग्यवान ही पकड़ा जा सकता है
उड़ते हुए ट्रैपीज़ में
उसके बाद?
फ़िलहाल पूरी तरह स्वस्थ।
डॉक्टर! आपके चारों तरफ
छितराए हुए हैं इधर-उधर
बच्चों के अस्पताल में बम गिरने के बाद
ख़ून से लिथड़े हुए कपड़े
मूक-बघिर स्कूलों जैसी निस्तब्धता में
ख़ुद का जीवित रहना ही
लगा था कमांडो तत्परता की तरह
अब ऐसा नहीं लगेगा कभी
फ़िलहाल पूरी तरह स्वस्थ।
इस बीच ख़ून जमकर रोक देता है रास्ता
कार्डियोग्राम की तरह रेखांकित चेतना के स्त्रोत में
डॉक्टर, वह भीषण आवेश!
ख़ुद के भेजे हुए एस. ओ. एस.
आईनों के धक्के खाकर अपने ही
शरीर में लौट आते हैं
डॉक्टर , बेहद मज़ा है सर्दियों के सर्कस में।