गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
एक चिनगारी के लिए / नवारुण भट्टाचार्य
1 byte removed
,
15:19, 19 नवम्बर 2010
कई-कई छवियाँ टुकड़े-टुकड़े काँच में
कब खिलेगी कली बारूद की गन्ध से उन्मत्त
सारा शहर उथल-पुथल भीषण क्रोध में होगा युद्ध
.
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,667
edits