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"ठूंठ री मुळक / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

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<poem>म्हारी आंख्यां में अटकगी
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म्हारी आंख्यां में अटकगी
 
रूंख री मुळक  
 
रूंख री मुळक  
  

22:31, 25 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

म्हारी आंख्यां में अटकगी
रूंख री मुळक

दीठी म्हनै
रूंख रै सहारै ऊभी
     बेलड़ी
आपरै मीठै फळां री सोरम सागै

कैवै हो ठूंठ-
ऊभी रह
इयांई ऊभी रह

आ सुण बोली बेल-
देखो तो सरी
बूढै सारै रो राम निसरियो है !