भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"छेकड़ कैवणो ई पड़ियो / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार= | + | |रचनाकार=सांवर दइया |
− | |संग्रह=हुवै रंग हजार / | + | |संग्रह=हुवै रंग हजार / सांवर दइया |
}} | }} | ||
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]] | [[Category:मूल राजस्थानी भाषा]] |
02:38, 29 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
ओळभा देवती आई आंधी
आछै-आछां रा
माजना भांडिया
जडां समेत उखाड़
चित नाख्या
आ देख
रहीज्यो कोनी
दूब सूं
छेकड़ कैवणो ई पड़ियो-
कांई करै तो कर लै खांगी
हे देख, आ ऊभी म्हैं ।