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"कुदरत रै आगै / निशान्त" के अवतरणों में अंतर

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13:05, 21 अक्टूबर 2013 का अवतरण

साँचा:KKCatRajasthaniRachana

 
पाड़ोसी बगा देवै
गळी में थोड़ो-घणो पाणी
तो आपां
मरण नै त्यार हो जावां

पण मेह रै पाणी नै
जूतियां खोल’र
लांघ ज्यावां ।