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<poem>
पलकों के तट चूमकर, कहे नयन-जलधार ।
बीते हैं पल दर्द के, हुआ नया भिनसार ।।
 
जीवन कहते हैं जिसे, है सुख-दुख का मेल ।
ख़ुशियाँ दो पल जो मिलें, लेकर दुख भी झेल ।।
 
अब खूँटी पर टाँग दे, नफ़रत-भरी कमीज़ ।
बोना है नव वर्ष में, मुस्कानों के बीज ।।
 
भाई ने परदेस से, किया बहिन को फोन ।
तेरी खुशियों से बड़ा, मेरा जग में कौन ।।
'''''पलकों के तट चूमकर , कहे नयन-जलधार ।
बीते हैं पल दर्द के , हुआ नया भिनसार । ।
जीवन कहते हैं जिसे , है सुख-दुख का मेल ।
खुशियाँ दो पल जो मिलें,लेकर दुख भी झेल । ।
अब खूँटी पर टाँग दे ,नफ़रत -भरी कमीज़ ।
बोना है नव वर्ष में , मुस्कानों के बीज । ।
भाई ने परदेस से , किया बहिन को फोन ।
तेरी खुशियों से बड़ा ,मेरा जग में कौन । ।
घर में या परदेस में ,सबसे मुझको प्यार ।
सबके आँगन में खिले , फूलों का संसार ।। 
नए साल से हम कहें-करलो दुआ कुबूल ।
माफ़ करें हर एक की , जो-जो खटकी भूल । ।।।  मुड़-मुड़कर क्या देखना , पीछे उड़ती धूल ।फूलों की खेती करो , हट जाएँगे शूल । ।अधरों पर मुस्कान ले , कहता है नव वर्ष ।छोड़ उदासी को यहाँ ,आ पहुँचा है हर्ष । ।'''''।।
अधरों पर मुस्कान ले, कहता है नव वर्ष ।
छोड़ उदासी को यहाँ, आ पहुँचा है हर्ष ।।
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