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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=शास्त्री नित्यगोपाल कटारे |संग्रह=}}‎[[Category:संस्कृत]]{{KKCatKavita‎}}<Poem> दैया रे दैया सुनो रे भैया
कैसा कामाल हो गया
लाजबाब हर सवाल हो गया।।
बड़ा साहब दलाल हो गया।।
लाजबाब हर सवाल हो गया।।
</poem>