भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|संग्रह=शब्द लिखने के लिए ही यह कागज़ बना है / ज्ञानेन्द्रपति
}}
{{KKPrasiddhRachna}}
{{KKAnthologyLove}}
{{KKCatKavita‎}}
चलती ट्राम में फिर आँखों के आगे झूली हो
तुम्हारी कद-काठी की एक
नन्ही-सी, नेक<
सामने आ खड़ी है
तुम्हारी याद उमड़ी है
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,310
edits