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Kavita Kosh से
प्यार यों तो सभी से मिलता है
दिल नहीं हर किसी से किसीसे मिलता है
हम सुरों में सजा रहे हैं उसे
यों तो नज़रें चुरा रहा है कोई
प्यार भी बेरुखी बेरुख़ी से मिलता है
क्या हुआ मिल लिए अगर हम तुम!