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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=हर सुबह एक ताज़ा गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
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[[category: ग़ज़ल]]
<poem>
तड़प उसकी भले ही हमको दिखलायी नहीं जाती
नहीं जाती, गुलाब! उन शोख शोख़ आँखों की महक दिल से
हमारे आईने से अब वो परछाईं नहीं जाती
<poem>
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