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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=हर सुबह एक ताज़ा गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
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[[category: ग़ज़ल]]
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नहीं तो क्या था भला आपकी कहानी में!
पता नहीं था कि कटकर गयी है मंजिल मंज़िल से
वो राह हमने जो धर ली थी नौजवानी में
गुलाब खिल नहीं पाते हैं जो बहार में भी
कमी तो कुछ है कहीं उनकी बागवानी बाग़वानी में
<poem>
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