भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
एक आँखों का हो सपना मगर आसान नहीं
यों तो राही हैं सभी एक ही मंजिल मंज़िल के, गुलाब!
तेरा इस भीड़ में खपना मगर आसान नहीं
<poem>
2,913
edits