भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
काँपती झील के दर्पण में जो हुआ सो ठीक
आँसुओं ने में दी बहा याद हमारी उनसेउसने
कोई काँटा न रहा मन में, जो हुआ सो ठीक