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आलोकवृत्त / गुलाब खंडेलवाल

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*[[भग्न तारों को सजाकर, / प्रथम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]]
*[[और एक दिन निशि के सूनेपन में रूग्ण पिता के / द्वितीय सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]]
*[['मन्त्र पुराने काम नं देंगें, मन्त्र नया पढ़ना है / तृतीय सर्ग/ गुलाब खंडेलवाल]]
*[[जन्मसिद्ध अधिकार मनुज का न्याय-शान्ति पाने का / चतुर्थ सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]]
*[[आ चुके थे पर चतुर नायक पुलिस के / पंचम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]]
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