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Kavita Kosh से
जाने किस तंतु के सहारे टिके प्राण!
करुणा है किसी की यह अथवा संयोग!
लक्ष्य चिर-अलक्ष्य, चरण कंपित मन त्रस्तचरण कंपित, मन त्रस्त
कहाँ नहीं गया, छुए किसके न पाँव!