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सूनापन चहका-चहका / यश मालवीय

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|संग्रह=एक चिड़िया अलगनी पर एक मन में / यश मालवीय
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<poem>
अभिवादन बादल-बादल
ख़बर लिये वन-उपवन की
कितने आशीर्वाद लिये
पहली बरखा सावन की
अभिवादन बादलबरस-बादल<br>बरस हैं घन बरसेख़बर लिये वन-उपवन अब की<br>भी घुमड़े बरसेकितने आशीर्वाद लिये<br>लेकिन पिछली ऋतु जैसेमन के हिरन नहीं तरसेसूनापन चहका-चहकापहली बरखा सावन चिड़िया चहकी आँगन की<br><br>
बरसरूनक-बरस हैं घन बरसे <br>झुनक-झुन पायल कीअब बूँदों की भी घुमड़े बरसे<br>रुनझुन-रूनझुनलेकिन पिछली ऋतु जैसे<br>सगुन हो रहे क्षण-क्षण परमन के हिरन नहीं तरसे<br>स्वस्तिक सजा, मिटा असगुनसूनापन चहकाघड़ी-चहका<br>घड़ी पर छवि निरखूँचिड़िया चहकी आँगन अपने जिया-जुड़ावन की<br><br>
रूनक-झुनक-झुन पायल की<br>बूँदों की रुनझुन-रूनझुन<br>सगुन हो रहे क्षण-क्षण पर<br>स्वस्तिक सजा, मिटा असगुन<br>घड़ी-घड़ी पर छवि निरखूँ<br>अपने जिया-जुड़ावन की<br><br> उमड़ रही जामुनी घटा<br>सजता आँखों का काजल<br>हरी-हरी पगडंडी पर<br>मौसम है श्यामल-श्यामल<br>रूप इंद्रधनु खिला-खिला<br>हुई समस्या दरपन की<br><br/poem>
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